हस्तरेखा से जानें कॅरियर
पं. अवनीश पाण्डेय
हस्तरेखा किसी भी मनुष्य के लिए वह खुली किताब है, जिसमें उसका सम्पूर्ण जीवन वृतान्त, उसका शुभाशुभ समय और उसके लिए शुभाशुभ क्षेत्र आदि का वर्णन लिखा हुआ होता है| यह किताब साधारण लिपि में नहीं लिखी हुई होती है, बल्कि संकेत लिपि में होती है और उसको एक अच्छा हस्तरेखा विशेषज्ञ ही पढ़ सकता है|
भविष्यकथन में जन्मकुण्डली के समान ही हस्तरेखाओं का भी अत्यधिक महत्त्व होता है| किन्हीं विशेष परिस्थितियों में तो वे जन्मकुण्डली से भी अधिक महत्त्व रखती हैं| जन्मपत्रिका किसी व्यक्ति के जन्मसमय पर आधारित होती है| यदि जन्मसमय में थोड़ा-सा भी हेर-फेर है, तो जन्मपत्रिका में अन्तर आना स्वाभाविक है और यह अन्तर कई बार तो फलों को बिल्कुल परिवर्तित कर देता है, जबकि हस्तरेखाओं के सम्बन्ध में यह विषमता कभी नहीं हो सकती, न ही क्षणभर का भी कोई हेर-फेर हो सकता है, अत: यह निश्चित है कि जो फल हस्तरेखाओं के द्वारा परिलक्षित होते हैं, वे निश्चित रूप से प्राप्त होते हैं| हस्तरेखाओं के माध्यम से वैसे तो जीवन के किसी भी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त की जा सकती है, लेकिन हम यहॉं हस्तरेखाओं के माध्यम से कॅरियर के सम्बन्ध में प्राप्त होने वाले फलों का वर्णन कर रहे हैं|
हस्तरेखाओं से कॅरियर का निर्धारण करने में तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनिष्ठिका अंगुलियों और इनके नीचे क्रमश: स्थित गुरु, शनि, सूर्य एवं बुध पर्वतों का विचार विशेष रूप से किया जाता है| इन पर्वतों पर स्थित चिह्न एवं इनकी स्थिति इत्यादि के अनुसार फल प्राप्त होते हैं|
हस्तरेखाओं से कॅरियर निर्धारण में सर्वप्रथम प्रश्न यह उठता है कि कौन-से हाथ का निरीक्षण इस सम्बन्ध में करना चाहिए| सामान्य रूप से पुरुषों का दॉंया और स्त्रियों का बॉंया हाथ देखने के निर्देश शास्त्रों में प्राप्त होते हैं| दॉंया हाथ कर्म का और बॉंया हाथ भाग्य का परिचायक होता है| सामान्य रूप से परिवार में पुरुष आजीविका चलाता है और स्त्री घर की आन्तरिक व्यवस्था को देखती है| यही कारण है कि पुरुषों का दॉंया और स्त्रियों का बॉंया हाथ देखा जाता है, लेकिन वर्तमान समय में स्त्री-पुरुष दोनों ही पुरुषार्थ करते हैं और आजीविका अर्जन में तत्पर रहते हैं| इसलिए आजीविका के सम्बन्ध में विचार करते समय स्त्री के भी दायें हाथ को ही अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए| चूँकि बॉंया हाथ भाग्यफल का प्रतीक होता है और भाग्य की सहायता के बगैर कोई भी व्यक्ति उच्च स्थिति को प्राप्त नहीं कर सकता है, इसलिए बायें हाथ को भी इस सम्बन्ध में अवश्य देखना चाहिए|
हस्तरेखाओं के सम्बन्ध में विशेष नियम
हस्तरेखाओं से कॅरियर के सम्बन्ध में निम्नलिखित तथ्यों का प्रमुख रूप से विचार करना चाहिए
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जिन व्यक्तियों की हाथ की रेखाएँ स्पष्ट, पतली, गहरी हों और हाथ पर बहुत अधिक छोटी-बड़ी रेखाएँ नहीं हों, ऐसे व्यक्तियों का आजीविका क्षेत्र अच्छा रहता है| अपने जीवन में वे उन्नति करते ही हैं|
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यदि हथेली की त्वचा स्निग्ध, चमकीली और लालिमा लिए हुए हो और दबाने पर हाथ मांसल और गद्देदार प्रतीत हों और अंगुलियों के नीचे स्थित पर्वत उभरे हुए हों, तो ऐसे व्यक्ति का कॅरियर सामान्यत: उत्तम रहता है|
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यदि हथेली में मस्तिष्क रेखा मंगल के प्रारम्भ तक गई हुई हो, अन्त में नुकीली हो और भाग्यरेखा मणिबन्ध से प्रारम्भ होकर गुरु, शनि या बुध पर्वत तक गयी हुई हो, बीच में कहीं से खण्डित नहीं हो और न ही इस पर कोई क्रॉस का निशान हो, तो ऐसा व्यक्ति अपने कॅरियर में उच्च स्थिति को प्राप्त करता है|
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जिन व्यक्तियों के हाथ में अंगुलियॉं टेढ़ी-मेढ़ी हों और नाखून भी धारीदार या विकृत हों, तो ऐसे व्यक्ति अपने कॅरियर में बहुत अधिक सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं और इस सम्बन्ध में उन्हें अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है|
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यदि दायें हाथ की अपेक्षा बायें हाथ की रेखाएँ बहुत अधिक अच्छी हों और बायें हाथ में त्रिकोण, वर्ग आदि शुभ चिह्नों की अधिकता हो, तो ऐसा व्यक्ति कर्म की अपेक्षा अपने भाग्य की सहायता से कॅरियर में उच्चता की प्राप्ति करता है|
- यदि ये शुभ चिह्न शुक्र पर्वत पर अधिक हों, तो यह भी देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति विवाह के पश्चात् अधिक उन्नति करते हैं|
विभिन्न कॅरियर क्षेत्रों को दर्शाने वाले हस्तरेखा लक्षण
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सफल व्यापारी बनने के योग : यदि अंगुष्ठ एवं कनिष्ठिका अंगुली लम्बी हो, बुध क्षेत्र उभरा हुआ हो और उस पर त्रिकोण का चिह्न बना हुआ हो और इसके अतिरिक्त भाग्यरेखा एवं सूर्यरेखा की स्थिति भी हाथ में अच्छी हो, तो ऐसा जातक एक सफल व्यापारी बनता है| यदि हथेली में भाग्यरेखा, जीवनरेखा और मस्तिष्करेखा से मिलकर एक त्रिभुज बना हुआ हो, बुध पर्वत उन्नत हो और अंगुलियों को परस्पर सटाने पर उनके मध्य छिद्र दिखाई नहीं दें, तो ऐसा व्यक्ति बड़ा व्यापारी बनता है| यदि वह नौकरी करे, तो भी व्यापार से सम्बन्धित कार्य अवश्य करता है|
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न्यायाधीश बनने के योग : यदि हथेली में हृदयरेखा एवं मस्तिष्क रेखा के बीच का भाग बड़ा हो, तर्जनी अंगुली बड़ी हो, कनिष्ठिका का प्रथम पौर अधिक बड़ा हो, सूर्य पर्वत उन्नत हो, तो ऐसी स्थिति एवं मध्यमा अंगुली भी लम्बी हो, तो ऐसा जातक सफल न्यायाधीश बन सकता है|
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उच्चाधिकारी बनने के योग : यदि हथेली में गुरु पर्वत उन्नत हो, सूर्य रेखा स्पष्ट एवं सीधी हो और भाग्यरेखा पूर्ण हो, तो ऐसा व्यक्ति राजकीय सेवा में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है| यदि किसी जातक के दायें हाथ की तर्जनी एवं कनिष्ठिका अंगुलियॉं बायें हाथ की तर्जनी और कनिष्ठिका अंगुलियों की अपेक्षा अधिक लम्बी एवं पुष्ट हों, प्रथम मंगल एवं सूर्य क्षेत्र उन्नत हों, तो ऐसा व्यक्ति उच्चपद प्राप्त करता है|
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चिकित्सक बनने के योग : यदि किसी जातक के हाथ की अंगुलियॉं लम्बी हों, बुध क्षेत्र उभरा हुआ हो और उस पर तीन खड़ी रेखाएँ हों, सूर्य रेखा पतली एवं गहरी हो, हृदयरेखा एवं मस्तिष्क रेखा स्पष्ट हों और शुक्र एवं चन्द्र पर्वत पर कोई अशुभ चिह्न नहीं हो, तो वह सफल एवं यशस्वी चिकित्सक बनता है|
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चित्रकार या कलाकार बनने के योग : यदि हथेली बड़ी हो, अंगुलियॉं नुकीली एवं पतली हों, अनामिका अंगुली का प्रथम पर्व बड़ा हो और शुक्र पर्वत उन्नत हो, तो ऐसा व्यक्ति अच्छा चित्रकार बनता है|
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अभिनेता बनने के योग : यदि हथेली में अंगुलियॉं चौकोर हों, मस्तिष्क रेखा दोमुँही हो, उसका एक भाग बुध पर्वत तक गया हुआ हो और शुक्र क्षेत्र उन्नत हो, तो ऐसा जातक अभिनय के क्षेत्र में उच्च सफलता प्राप्त करता है| यदि मस्तिष्क रेखा बुध क्षेत्र पर जाकर समाप्त हो, चन्द्र पर्वत उन्नत हो और शुक्र क्षेत्र पर त्रिकोण का चिह्न बन रहा हो, तो ऐसा व्यक्ति अभिनय में सफल होता है|
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लेखक एवं सम्पादक बनने के योग : यदि हथेली में बुध क्षेत्र उन्नत हो, कनिष्ठिका अंगुली अनामिका के अन्तिम क्षेत्र के मध्य तक गई हुई हो, चन्द्र पर्वत उन्नत हो और मस्तिष्क रेखा नीचे झुककर चन्द्रपर्वत तक आ गयी हो, तो ऐसे व्यक्ति की कल्पनाशक्ति बहुत अच्छी होती है और वह अच्छा लेखक या सम्पादक बन सकता है| यदि हथेली में गुरु पर्वत उन्नत हो उस पर स्वस्तिक या चतुर्भुज का चिह्न बना हो, मस्तिष्क रेखा बुध या चन्द्र क्षेत्र तक गयी हुई हो और सूर्य रेखा पर सितारे का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति कवि, लेखक या प्रकाशक बनता है और उसे इस क्षेत्र में उच्च सफलता प्राप्त होती है|
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इंजीनियर बनने के योग : यदि हथेली में अंगुलियॉं आगे से गोलाई लिए हुए हों, चन्द्र एवं मंगल क्षेत्र उन्नत हों और अँगूठा छोटा हो, तो ऐसा व्यक्ति एक सफल इंजीनियर बनता है| यदि अंगुलियॉं नोकदार एवं मोटाई लिए हुए हों, हथेली चौड़ी एवं चौरस हो, सभी ग्रह क्षेत्र फैले हुए हों और अँगूठा छोटा एवं मजबूत हो, तो ऐसा व्यक्ति सफल इंजीनियर बन सकता है|
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ज्योतिषी बनने के योग : यदि कनिष्ठिका अनामिका अंगुली के अन्तिम पर्व तक गयी हुई हो, गुरु पर्वत उन्नत हो, उस पर स्वस्तिक, वलय, चतुष्कोण अथवा त्रिकोण का चिह्न हो और मस्तिष्क रेखा मंगल क्षेत्र तक गई हुई हो, तो ऐसा व्यक्ति सफल ज्योतिषी बनता है और उसे इस क्षेत्र में धन एवं यश दोनों की ही प्राप्ति होती है| यदि चन्द्र क्षेत्र पर खड़ी रेखा बनी हुई हो और मस्तिष्क रेखा इससे आकर मिले, मस्तिष्क रेखा अथवा भाग्यरेखा के समीप त्रिकोण का चिह्न हो और मध्यमा अंगुली लम्बी हो, तो ऐसे व्यक्ति का अन्तर्मन शीघ्र जाग्रत हो जाता है| इस प्रकार के व्यक्तियों की भविष्यवाणियॉं दैवीय कृपा से सच होती हैं और इन्हें वाक् सिद्धि भी शीघ्र ही प्राप्त हो सकती है|
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प्रबन्धक बनने के योग : यदि तर्जनी अंगुली लम्बी हो, गुरु पर्वत उभार लिए हुए हो, मस्तिष्क रेखा बुध क्षेत्र की ओर झुकाव लिए हुए हो और निर्दोष सूर्य रेखा हाथ में विद्यमान हो, तो ऐसा व्यक्ति सफल प्रबन्धक बनता है और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चलाता है|
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खिलाड़ी बनने के योग : यदि दोनों मंगल क्षेत्र उन्नत हों, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच अधिक अन्तर नहीं हो, शनि पर्वत उन्नत हो, तो ऐसा व्यक्ति अच्छा खिलाड़ी बन सकता है| यदि मंगल क्षेत्र पर चतुष्कोण का चिह्न हो, मस्तिष्क रेखा मोटी हो, मध्यमा अंगुली लम्बी हो और हाथ देखने में थोड़ा सख्त प्रतीत हो, तो ऐसा व्यक्ति सफल खिलाड़ी बन सकता है| उसे इस क्षेत्र में धन एवं यश दोनों की प्राप्ति होती है|
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शेयर व्यापार में सफलता के योग : यदि बुध क्षेत्र पर दो या तीन खड़ी रेखाएँ हों, कनिष्ठिका अंगुली लम्बी एवं नुकीली हो और भाग्य रेखा बुध पर्वत की ओर गई हुई हो, तो ऐसे व्यक्ति को शेयर के कार्य में अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है| यदि भाग्यरेखा बुध पर्वत पर जाकर समाप्त हो, बुध क्षेत्र उन्नत हो और हथेली के मध्य भाग में त्रिकोण का चिह्न हो, तो ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में आकस्मिक रूप से धन की प्राप्ति होती है| उसके लिए शेयर-सट्टे आदि का कार्य भी लाभदायक सिद्ध होता है|
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शिक्षक बनने के योग : यदि हाथों की अंगुलियॉं चौकोर हों, गुरु पर्वत उभरा हुआ हो और उस पर क्रॉस या चतुष्कोण का चिह्न हो, सूर्य रेखा स्पष्ट एवं निर्दोष हो, तो ऐसा व्यक्ति शिक्षक बनता है और शिक्षण क्षेत्र में उच्च पद को प्राप्त करता है| यदि बुध क्षेत्र उन्नत हो, तर्जनी अंगुली मध्यमा की ओर झुकी हुई हो और गुरु पर्वत पर स्वस्तिक या वर्ग का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है|