AS005 Divisional Carts in Indian Astrology (Theory & Practice)

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भारतीय ज्‍योतिष में वर्ग कुण्‍डलियां (सिद्धान्‍त एवं व्‍यवहार)
(Divisional Carts in Indian Astrology (Theory & Practice)-AS005)

  1. वर्गकुण्डलियों से फलित : षोडश वर्ग कुण्डलियों से फलित, वर्गकुण्डलियों के निर्माण की अन्य प्रचलित प्रविधियाँ एवं उनके आधार पर फलित; पाराशरेतर वर्ग : पंचमांश, षष्ठांश, अष्टमांश, एकादशांश आदि का निर्माण एवं उनके आधार पर फलित; उच्च वर्ग : नवांश-अष्टमांश, नव-नवांश, द्वादशांश-नवांश, द्वादशांश-द्वादशांश, नाड्यंश, अर्द्धनाड्यंश आदि वर्गकुण्डलियों का परिचय, निर्माण एवं उनके आधार पर फलित।
  2. शिक्षा-कॅरिअर ज्योतिष : शिक्षा एवं कॅरिअर के विन्न क्षेत्रों के निर्धारण से सम्बन्धित ज्योतिषीय सिद्धान्त एवं उनके आधार पर फलित।
  3. वैवाहिक सुख एवं ज्योतिष : सप्तम भाव एवं वैवाहिक सुख के ज्योतिषीय सिद्धान्त, मेलापक, मंगलदोष, विवाह समय निर्धारण, प्रेम विवाह एवं अन्तर्जातीय विवाह, विवाह में विलम्ब, अविवाहित रहने के योग, विवाह पार्थक्य, द्वितीय विवाह की सम्‍भावना, वैवाहिक समस्याओं के ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक उपचार।
  4. सन्तान सुख एवं ज्योतिष : पंचम भाव एवं सन्तान सुख के ज्योतिषीय सिद्धान्त, सन्तान प्रतिबन्धक योग, सन्तान प्राप्ति में विलम्ब, प्रसवकालीन समस्याएँ, अनपत्यता अर्थात् सन्तानहीनता, सन्तानोत्‍पत्तिक्षमता (बीजस्फुट एवं क्षेत्रस्फुट), सन्तानहीनता एवं विभिन्न प्रकार के शाप, सन्तान सुख सम्बन्धी समस्याओं के ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक उपाय।
  5. चिकित्सा ज्योतिष : बालारिष्ट एवं अरिष्टभंग योग, जन्मजात रोग, रोगोत्पत्ति का समय, विभिन्न प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग तथा उनके ज्योतिषीय योग।
  6. व्यावहारिक प्रश्नों के फलकथन।