AS007 Tazikshastra

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ताज़िकशास्‍त्र
(Tazikshastra Paper-AS007)

  1. ताज़िक ज्योतिष : परिचय, उद्भव एवं विकास
  2. वर्षलग्न साधन, वर्ष कुण्‍डली निर्माण,
  3. वर्ग साधन : पंचवर्ग एवं द्वादश वर्ग, भारतीय ज्योतिष एवं ताज़िकशास्त्र में वर्गव्यवस्था का तुलनात्मक विवेचन
  4. ग्रहों की दृष्टियाँ एवं पारस्परिक सम्बन्ध
  5. ग्रहों का बल
  6. वर्ष पंचाधिकारी एवं वर्षेश निर्णय, वर्षेश के आधार पर फलकथन, मुन्था एवं पंचाधिकारियों के आधार पर फलकथन
  7. सहम : नीलकंठोक्‍त 50 सहम साधन एवं फलकथन
  8. त्रिपताकी एवं समुद्र चक्र
  9. पात्यायिनी दशा
  10. विंशोत्तरी मुद्दादशा
  11. योगिनी मुद्दादशा
  12. मास एवं दिन प्रवेश लग्न साधन
  13. षोडशयोग : इक्कवाल योग; इन्दुवार योग; इत्थशाल योग; ईसराफ योग; नक्तयोग; यमया योग; मणऊ योग; कंबूल योग; गैरिकंबूल योग; खल्लासर योग; रद्दयोग; दुफालिकुत्थ योग; दुत्थोत्थदिवीर योग; तंबीर योग; कुत्थ योग; दुरफ्फ़ योग।
  14. द्वात्रिंशत् योग : मुक्ताबिल्ल योग; काबिल्लयोग; लालील योग; लत्ता योग; रिहा योग; गेशना योग; दोशना योग; चीन योग; कलावार योग; वार योग; दिल्ल योग; मादला योग; कुलाब योग; कुलाली योग; खुशाला योग; खुशाली योग; फलूसा योग; फलूसी योग; वदारा योग; वदारी योग; तमाला योग; तमाली योग; तगी योग; तेज योग; तेगी योग; यमी योग; जीव योग; खंजाब योग।
  15. वर्षप्रवेशकालिक पंचांगानुसार फलकथन
  16. भावानुसार फलकथन
  17. विशिष्टयोगायोग : कार्यों में सफलता; कार्यों में असफलता, बाधा एवं विलम्ब; भाग्योदय होने के योग; वर्ष में विपत्ति आने के योग; आजीविका विचार; प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के योग; अध्ययन में सफलता के योग; पदोन्नति का विचार; नौकरी में दण्ड या आजीविका में कमी; स्थानान्तरण का विचार; राज्य से लाभ-हानि होने के योग; मान-सम्मान का विचार। आय एवं सम्‍पत्ति का विचार; धन लाभ के योग; स्त्री के सहयोग से लाभ; दिशाओं से लाभ; धनहानि; दिशाओं से हानि; धन के अत्यधिक व्यय के योग; चोरी होने के योग; ऐश्वर्य एवं सुखों में वृद्धि; वाहन सुख विचार; सुखों में कमी; विवाह विचार; दाम्पत्य सुख विचार; संतान विचार; पारिवारिक सुख विचार; मित्रता का विचार; शत्रुओं पर विजय; शत्रुओं का विनाश; शत्रुओं से हानि, विवाद एवं भय; शत्रुओं की संख्या में वृद्धि; मुकदमे आदि का विचार; मुकदमे में फँसने के योग; राजदण्ड का भय; स्वास्थ्य सुख विचार; शारीरिक नीरोगता; रोगी होने के योग; शरीर में दुर्बलता; कफ सम्बन्धी रोग; श्लेष्मा से सम्बन्धित रोग; वातजनित रोग; पित्तजनित रोग; शीतजनित रोग; गर्मी से सम्बन्धित रोग; ज्वर सम्बन्धी रोग; सिर से सम्बन्धित रोग; रक्त सम्बन्धी रोग; चर्म रोग; कुष्ठ रोग; व्रण एवं शस्त्राघात आदि का भय; सूखा रोग; नेत्र सम्बन्धी रोग; गले से सम्बन्धित रोग; छाती से सम्बन्धित रोग; खाँसी रोग; यक्ष्मा (टी.बी.) रोग; कमर सम्बन्धी रोग; पीठ सम्बन्धी रोग; मुख सम्बन्धी रोग; दन्त रोग; अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से सम्बन्धित रोग; उदर सम्बन्धी रोग; वमन रोग; पीलिया होने के योग; मधुमेह (प्रमेह) (डायबिटिज) रोग; अतिसार रोग; मूत्र सम्बन्धी रोग; प्लीहा रोग; सन्निपात रोग; पैर एवं टाँगों से सम्बन्धित रोग; गुप्तरोग; मानसिक रोग; आकुलता एवं व्यग्रता के योग; दुर्घटना सम्बन्धी योग; मृत्यु अथवा मृत्यु तुल्य कष्ट; अरिष्ट होने के योग; अरिष्टनाश के योग; यात्रा होने के योग; यात्रा में कष्ट होने के योग; बुद्धि में वृद्धि एवं सुमति के योग; बुद्धि में कमी एवं कुमति के योग; सदाचरण के योग; दुराचरण के योग; व्यसन के योग; धर्म एवं अध्यात्म के प्रति अिरुचि में वृद्धि होने के योग; धर्म एवं अध्यात्म के प्रति अिरुचि में कमी होने के योग; साहस, उत्साह एवं कार्यक्षमता में वृद्धि के योग; साहस, उत्साह एवं कार्यक्षमता में कमी के योग।
  18. पात्यायिनी दशा से फलकथन
  19. विंशोत्तरी मुद्दादशा, योगिनी मुद्दादशा तथा त्रिपताकी एवं समुद्रचक्र के आधार पर फलकथन
  20. मासकुण्डली से फलकथन :
  21. दिवसकुण्डली से फलकथन
  22. वर्षकुण्डली लेखन प्रारूप : वर्षपत्रिका लेखन प्रविधि; कम्प्यूटरीकृत वर्षपत्रिका।