विशिष्टयोगायोग : कार्यों में सफलता; कार्यों में असफलता, बाधा एवं विलम्ब; भाग्योदय होने के योग; वर्ष में विपत्ति आने के योग; आजीविका विचार; प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता के योग; अध्ययन में सफलता के योग; पदोन्नति का विचार; नौकरी में दण्ड या आजीविका में कमी; स्थानान्तरण का विचार; राज्य से लाभ-हानि होने के योग; मान-सम्मान का विचार। आय एवं सम्पत्ति का विचार; धन लाभ के योग; स्त्री के सहयोग से लाभ; दिशाओं से लाभ; धनहानि; दिशाओं से हानि; धन के अत्यधिक व्यय के योग; चोरी होने के योग; ऐश्वर्य एवं सुखों में वृद्धि; वाहन सुख विचार; सुखों में कमी; विवाह विचार; दाम्पत्य सुख विचार; संतान विचार; पारिवारिक सुख विचार; मित्रता का विचार; शत्रुओं पर विजय; शत्रुओं का विनाश; शत्रुओं से हानि, विवाद एवं भय; शत्रुओं की संख्या में वृद्धि; मुकदमे आदि का विचार; मुकदमे में फँसने के योग; राजदण्ड का भय; स्वास्थ्य सुख विचार; शारीरिक नीरोगता; रोगी होने के योग; शरीर में दुर्बलता; कफ सम्बन्धी रोग; श्लेष्मा से सम्बन्धित रोग; वातजनित रोग; पित्तजनित रोग; शीतजनित रोग; गर्मी से सम्बन्धित रोग; ज्वर सम्बन्धी रोग; सिर से सम्बन्धित रोग; रक्त सम्बन्धी रोग; चर्म रोग; कुष्ठ रोग; व्रण एवं शस्त्राघात आदि का भय; सूखा रोग; नेत्र सम्बन्धी रोग; गले से सम्बन्धित रोग; छाती से सम्बन्धित रोग; खाँसी रोग; यक्ष्मा (टी.बी.) रोग; कमर सम्बन्धी रोग; पीठ सम्बन्धी रोग; मुख सम्बन्धी रोग; दन्त रोग; अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से सम्बन्धित रोग; उदर सम्बन्धी रोग; वमन रोग; पीलिया होने के योग; मधुमेह (प्रमेह) (डायबिटिज) रोग; अतिसार रोग; मूत्र सम्बन्धी रोग; प्लीहा रोग; सन्निपात रोग; पैर एवं टाँगों से सम्बन्धित रोग; गुप्तरोग; मानसिक रोग; आकुलता एवं व्यग्रता के योग; दुर्घटना सम्बन्धी योग; मृत्यु अथवा मृत्यु तुल्य कष्ट; अरिष्ट होने के योग; अरिष्टनाश के योग; यात्रा होने के योग; यात्रा में कष्ट होने के योग; बुद्धि में वृद्धि एवं सुमति के योग; बुद्धि में कमी एवं कुमति के योग; सदाचरण के योग; दुराचरण के योग; व्यसन के योग; धर्म एवं अध्यात्म के प्रति अिरुचि में वृद्धि होने के योग; धर्म एवं अध्यात्म के प्रति अिरुचि में कमी होने के योग; साहस, उत्साह एवं कार्यक्षमता में वृद्धि के योग; साहस, उत्साह एवं कार्यक्षमता में कमी के योग।
पात्यायिनी दशा से फलकथन
विंशोत्तरी मुद्दादशा, योगिनी मुद्दादशा तथा त्रिपताकी एवं समुद्रचक्र के आधार पर फलकथन
मासकुण्डली से फलकथन :
दिवसकुण्डली से फलकथन
वर्षकुण्डली लेखन प्रारूप : वर्षपत्रिका लेखन प्रविधि; कम्प्यूटरीकृत वर्षपत्रिका।